नवरात्रि एक जीवंत महोत्सव है, जो रंगों और उल्लास के लिए जाना जाता है। इसका संबंध मौन से भी है, जिसके केंद्र में मंत्रों का उच्चारण, उपवास तथा प्रार्थनाएँ रहती हैं। बहुत से लोग इस पर्व को ध्यान के माध्यम से अंतर्मुखी होने के अवसर के रूप में देखते  हैं।

अस्तित्व के तीन स्तर हैं – बाह्य दुनिया या स्थूल जगत, विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं से बना सूक्ष्म जगत तथा दिव्यता अथवा ईश्वर। यहाँ जितने भी यज्ञ किए जा रहे हैं, उनका उद्देश्य आध्यात्मिक तथा भौतिक, दोनों तरह से लाभान्वित होना है। जब आप अपने भीतर गहराई में उतरते हो, अपने मूल स्रोत में, जहाँ से सब कुछ आया है, तो आप परम शांति का अनुभव करते हो। जब आप गहरे ध्यान में जाते हो, तभी इन मंत्रों का प्रभाव पड़ता है। यह मंत्र अति सुंदर और शक्तिशाली हैं तथा सूक्ष्म स्तर पर सृष्टि को समृद्ध करते हैं। हम अति सौभाग्यशाली हैं कि इन सब में भाग ले रहे हैं।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

ध्यान से हमें गहरा विश्राम मिलता है और इससे शरीर तथा मन, दोनों फिर से ऊर्जावान हो जाते हैं। यह समय आपके भीतर की चेतना के लिए विश्राम का समय है। यह वह समय है जब आप बाह्य जगत को त्याग कर ध्यान के द्वारा मौन का अनुभव करते हो।

योगी सदियों से ध्यान का अभ्यास करते आए हैं और अब शोधकर्ताओं ने भी वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा इससे होने वाले लाभों को प्रमाणित किया है। नवरात्रि के समय ध्यान करने के चार प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

1. अपने मन तथा शरीर को प्रकृति से समन्वयित कर संतुलित करें

हमारा संतुलन बनाए रखने में प्रकृति की भूमिका महत्वपूर्ण है। प्रकृति ऊर्जा का अथाह भंडार है और प्रकृतिक वातावरण में ध्यान करने से अपने भीतर उतरने का मार्ग स्वतः ही प्रशस्त हो जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो ग्रीष्म ऋतु का अयनकाल (जब सूर्य भूमध्य रेखा से अपने उच्चतम शिखर पर होता है और ग्रीष्म ऋतु के आरंभ का द्योतक होता है) तथा शरद अयनकाल (वर्ष के सबसे छोटे और सबसे बड़े दिन को दर्शाती खगोलीय घटनाएँ), में सूर्य अपने दोनों ओर की चरम स्थिति में होता है। नवरात्रि के समय सूर्य की स्थिति इन दोनों के बीच में होती है, और तब दिन और रात का समय संतुलित होता है, इसलिए यह समय ध्यान करने के लिए आदर्श होता है।

2. स्वयं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएँ

ध्यान आपको स्वयं से परिचित होने का तथा स्वयं के साथ समय बिताने का अवसर प्रदान करता है। कभी कभी हमें लगता है कि हमें अपने ध्यानाभ्यास में और अधिक नियमित होना चाहिए। किंतु संभवतः दैनिक जीवन की व्यस्तताओं के कारण हम इसमें पिछड़ गए। कोई बात नहीं, घबराएँ नहीं।

नवरात्रि का समय हमें Ctrl +Alt + Delete बटन को दबा कर नई शुरुआत करने का सुअवसर प्रदान करता है। विजयदशमी का पर्व कुछ भी नया कार्य आरंभ करने के लिए शुभ समय होता है। इसलिए कोई बात नहीं, यदि आप ध्यान करना भूल गए अथवा अभी तक आरंभ नहीं कर सके; नवरात्रि एक नई शुरुआत करने का शुभ अवसर है।

3. नवरात्रि से होने वाले बहुआयामी प्रभावों का लाभ

ऐसा माना जाता है कि जब हम कोई आध्यात्मिक अभ्यास सामूहिक रूप में करते हैं तो यह एक यज्ञ बन जाता है, उसके लाभ कई गुणा बढ़ जाते हैं और शीघ्र फलीभूत होते हैं। नवरात्रि में जब सब साथ मिल कर ध्यान करते हैं तो सामूहिक चेतना में आपकी चेतना का उत्थान करने की अपार शक्ति होती है।

4. नवरात्रि में ध्यान का महत्व

जब आप स्नान करते हैं तो आपको भीगने के लिए कुछ प्रयास करना पड़ता है। तथापि बरसात में भीगना अपरिहार्य है। इसी प्रकार सामान्यतः वर्ष भर ध्यान करने में थोड़ा प्रयास करना पड़ता है। किंतु नवरात्रि में वातावरण कुछ ऐसा होता है कि ध्यान स्वतः ही लग जाता है। यदि आप नवरात्रि के इन नौ दिन ध्यान करते हैं तो उसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। यह प्रतिरक्षण जैसा है। आप एक बार इसे कर लो, तो उसका प्रभाव लम्बे समय तक बना रहता है। नवरात्रि में किए जाने वाले मन्त्र जाप हमें ध्यानस्थ अवस्था में ले जाने में प्रभावशाली ढंग से सहायता करते हैं। यह प्रक्रिया हमें ऊर्जा से भर देती है जिसका प्रभाव आने वाले कई महीनों तक बना रहता है।

सलाह
किस प्रकार के ध्यान की अनुशंसा की जाती है?
आप नवरात्रि के सभी नौ दिन “देवी कवच” तथा “लक्ष्मी अष्टोत्तर” के मंत्रों पर दिन में एक बार ध्यान कर सकते हैं।

सीमा थानेदार, वरिष्ठ प्रशिक्षिका, आर्ट ऑफ लिविंग के सौजन्य से