“दिसंबर 11, 2005, पूर्बी चंपारण डिस्ट्रिक्ट, बिटाउना गाँव - लगभग शाम के 7:00 बजे, करीब-करीब 50- 60 नक्सलवादी (एक मॉउईस्ट कम्युनिस्ट दल, भारत में आतंकी संगठन गैरकानूनी गतिविधि कार्य के अंतर्गत (निवारण) घोषित किया गया), पुरुष व महिला दोनों ने, मेरे सामने मेरे पति की हत्या कर दी। मैं नहीं जानती इसके बाद क्या हुआ, लेकिन मेरे पति की हत्या ने मेरे दिल पर गहरा आघात छोड़ा था, रीता सिंह कहती है, यूथ लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम, कॉर्डिर्नेटर, बताती है अपनी शुरुआत आर्ट ऑफ लिविंग के साथ।
इस भयानक हादसे के बाद उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया, उनकी बहन के पुन:पुन: आग्रह के फलस्वरूप, वे एक कोर्स के लिए बैठी 17 दिसंबर 2006 को रीता बताती है, “वे नहीं जानती कोर्स के पहले दिन क्या हुआ। लेकिन 18 दिसंबर 2006 के बाद जब मैंने अपनी पहली क्रिया की पिछले एक वर्ष में मैंने अपना नाम पहली बार लिया। तब तक, मैं एक मृत स्वरूप थी, जो चलना, बोलना या अपनी भावनाएँ व्यक्त नहीं कर सकता था। मेरे कोर्स के दौरान, मेरे टीचर बताते हैं कि मैं ऐसी दुखद परिस्थिति में थी की उन्हें भी मेरी तरफ देखकर रोना आ गया। लेकिन, जब मैंने कोर्स किया, मैं कभी पीछे नहीं मुड़ी। “नहीं मुझे लगा मेरे पति मेरे साथ नहीं है”।
इस पथ पर चलने से पहले, वे एक बहुत ही आक्रामक व्यक्ति थी, जो बहुत सारी बीमारियों से पीड़ित थी, “जब मेरे पति जीवित थे, उनका अधिकतर समय मुझे डॉक्टर के पास लाना ले जाना होता था। मुझे नींद की गोलियां की आदत थी, फिर भी मुझे नींद नहीं आती थी और मैं बहुत दर्द में थी। लेकिन मेरी पहली क्रिया के बाद से, मुझे दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि अब, मैं कहीं भी कैसे भी परिस्थिति में सोच सकती हूँ”, मुस्कुराते हुए रीता, सफेद कुर्ते- पजामें में, नमक-काली मिर्च( काले सफेद ) की भाँति बाल और लगभग स्पर्शजन्य उनकी मुक्त शांतिप्रवाह ऊर्जा।
जल्द ही बाद में, वे एक टीचर बन गई और जेल में कोर्स लिए, लेकिन उनकी असली परीक्षा तब हुई जब उन्होंने क्रिया उन्हें सिखाई जिन्होंने उनके पति की दरिद्रता से हत्या कर दी थी,” रीता बताती है।,”मैं वहाँ अपनी स्वेच्छा से गयी क्योंकि मैं चाहती थी जिन्होंने मेरे जीवन बर्बाद कर दिया, वे भी इस ज्ञान को प्राप्त करें और उन्हें अपना जीवन बदलने का अवसर मिले। मैं उनसे कोर्स से 1 दिन पूर्व मिली और मुझे ऐसा नहीं लगा कि मैं किसी शत्रु को देख रही हूँ, किंतु मेरे अपने भाई बहन जैसे लगे। यहाँ तक कि उन्होंने यह स्वीकार किया उन्होंने मेरे पति की हत्या की है और मुझसे पूछा कि, उन्होंने मेरे साथ किया मैं उनके लिए कोर्स कंडक्ट कैसे कर सकती हूँ। मेरा जवाब ये था: ‘आप ने स्वीकार किया जो आपने किया वह गलत था, फिर भी मैं आपको कुछ अमूल्य देना चाहती हूँ, जिससे आपको लाभ होगा’।“
आज तक, वे चार कोर्स जो उन्होंने लिए उनके लिए यादगार है क्योंकि उन्होंने वह कोर्स बहुत अनुशासन व भक्ति के साथ किया और वे दुख व पछतावे से भर गए, लेकिन रीता ने उन्हें अपने पछतावे को छोड़ने को कहा और प्रेम व स्नेह के साथ काम करने को कहा ना कि शास्त्रों व हिंसा से।
“आज, मैं किसी भी चीज़ से भयभीत नहीं हूँ क्योंकि मैं ऐसा महसूस करती हूँ एक रक्षा कवच मेरी देखभाल कर रहा है-गुरु जी मेरे दाहिने तरफ और पति बाऐं तरफ है, मुस्कुराकर कहती है रीता, बैंगलोर आश्रम में, गुरु जी के साथ मीटिंग के लिए तैयार होते हुए, जाते हुए कहती हैं, “आज जानते है, मुझे दुख या डर क्यों नहीं है? यह इसलिए क्योंकि मेरे पास जबरदस्त प्रतिबद्धता है और यह सब गुरुदेव की वजह से”।