नव वर्ष (नया साल) वह समय है जब लोगों को अचानक लगता है कि, ‘ओह! एक साल बीत गया!’ हम कुछ पलों के लिए स्तब्ध हो जाते हैं कि समय कितनी जल्दी बीत जाता है, और फिर हम वापिस अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। मज़े की बात यह है कि ऐसा साल में लगभग एक बार तो होता ही है।
यदि हम आश्चर्य के इन क्षणों की गहराई में जाएँ, तब हम पाएंगे कि हमारे भीतर कुछ ऐसा है जो सभी घटनाओं को साक्षी भाव से देख रहा है। हमारे भीतर का यह साक्षी भाव अपरिवर्तित रहता है और इसीलिए हम समय के साथ बदलती घटनाओं को देख पाते हैं।
जीवन की वे सभी घटनाएं जो बीत चुकी हैं, एक स्वप्न बन गयीं हैं। जीवन के इस स्वप्न - जैसे स्वभाव को समझना ही ज्ञान है। यह स्वप्न अभी इस क्षण भी चल रहा है। जब हम यह बात समझते हैं तब हमारे भीतर से एक प्रबल शक्ति का उदय होता है और फिर घटनाएं व परिस्थितियां हमें हिलाती नहीं हैं। हालांकि, घटनाओं का भी जीवन में अपना महत्व है। हमें घटनाओं से सीखना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।
इस साल की प्रमुख घटनाओं में, भारत में हुए चुनावों के कारण सामाजिक और राजनैतिक वातावरण में बहुत परिवर्तन आया। लोगों ने सजगता के साथ एकजुट होकर भ्रष्टाचार व अनैतिक शासन के खिलाफ़ वोट किया। तीन दशक के बाद देश को बहुमत वाली स्थिर सरकार मिली। इस परिवर्तन से भारत की छवि विश्व स्तर पर भी दृढ़ हुयी है। अब दूसरे देशों से हमारे सम्बन्ध पहले के मुकाबले और बेहतर हो गए हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर संयुक्तराष्ट्र ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की घोषणा भी करी है। मंगल ग्रह तक पहुंचने का भारत का मिशन भी सफल हुआ, और इससे टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत की श्रेष्ठता सामने आयी। .
लेकिन, पूरे विश्व में आतंकी समूहों के द्वारा बड़े पैमाने पर निर्दयता से लोगों की हत्या की गयी – यह एक बहुत ही विचलित करने वाली घटना रही। तहरीक-ए-तालिबान समूह जिसने पिछले साल आर्ट ऑफ़ लिविंग के इस्लामाबाद सेंटर को जला दिया था, इसी समूह ने अब पेशावर में 130 स्कूल के बच्चों की हत्या कर दी। ‘आई एस’ ने भी बहुत से देशों में हाहाकार मचाया है। हमारे वालंटियर सिंजर की पहाड़ियों और एरबिल, इराक़ में राहत कार्य में जुटे हुए हैं। यहाँ येज़ीदी समुदाय के लोग जनसंहार से भागकर छिपे हुए हैं। बहुत सी मुश्किलों के बाद भी हमारे वालंटियरों ने 120 टन भोजन सामग्री को वहां हवाईजहाज से गिराया और 200 लड़कियों को ‘आई एस’ की गिरफ्त से बचाया। लेकिन अभी वहां और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
चाहे कोई भी चुनौती हो, हमें एक बेहतर समाज बनाने के लिए निरंतर प्रयत्न करना चाहिए। ये तभी संभव है जब हम खुद में स्थिर हो जाएँ। आपके अन्दर एक ‘कर्ता’ है और एक ‘साक्षी’ है। जैसे-जैसे आप अंतर्मुखी होते हैं और अपने मन की गहराई में जाते हैं, आपके अन्दर साक्षी भाव बढ़ने लगता है और घटनाएं आपको छू नहीं पातीं। जैसे-जैसे आप बहिर्मुखी होते हैं, तब आपका कर्ता भाव परिस्थितियों से निपटने में और अधिक कुशल होता है।
हमारे स्वभाव के ये दो आयाम बिलकुल विपरीत हैं, लेकिन इन दोनों का पोषण ‘ध्यान’ के माध्यम से हो सकता है। जब आप ‘आत्मा’ के समीप आते हैं, तब दुनिया में आपका कर्म अधिक शक्तिशाली हो जाता है। इसी तरह यदि आप दुनिया में सही कर्म कर रहे हैं, तब वह आपको ‘आत्मा’ के समीप ले आता है।
नए साल के इस शुभ अवसर पर, आईये हम सब संकल्प लें, कि हम अपने भीतर स्थिर रहेंगे और एक बेहतर विश्व की ओर बढ़ें। समय लोगों को ज़रूर बदलता है, लेकिन कुछ लोग हैं जो समय को बदलते हैं। मेरी प्रार्थना है कि आप उन्हीं लोगों में से एक हो।