योग और प्राणायाम से ध्यान केंद्रित करें | Get Focus with Yoga and Pranayama

कार्यस्थल पर कम उत्पादकता और स्कूल कॉलेज में कम नंबर या ग्रेड आने का मुख्य कारण- ढुलमुल ध्यान या केंद्रीकरण का अभाव है। अपने जीवन की गुणवत्ता को ऊंचा उठाने का प्रयास प्रत्येक छात्र, पेशेवर, उद्यमी तथा ग्रहिणीयों का समान लक्ष्य है। परंतु ध्यान केंद्रित करने की कमी ही सारी समस्याओं की जड़ है।ध्यान केंद्रित करना कठिन काम नहीं है, जब आपको पता हो कि इसके लिए किस से सहायता मांगनी है?

आज के समय में बहुत से ध्यान केंद्रित करने के साधन उपलब्ध हैं। योग और प्राणायाम सबसे पुराना और समय के द्वारा परखा गया उपाय है। जो कि आपको आपके लक्ष्य के पास लेकर जाएगा। हालांकि ऐसा लगता है कि योग अधिकतर शारीरिक व्यायाम की पद्धति है, परंतु मानसिक व्यायाम भी करता है। इससे शरीर लचीला बनता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, तनाव दूर होता है, तंत्रिका तंत्र को विश्राम मिलता है तथा मन शांत होता है।

यहाँ सरल प्राणायाम की श्रंखला दी गई है जो बेहतर ध्यान केंद्रित करने में सहायता करेंगी:


नाड़ी शोधन प्राणायाम

nadi shodhana pranayama

नाड़ी शोधन प्राणायाम आप की नाड़ी को स्वच्छ करता है जो कि सूक्ष्म जीवनदायिनी ऊर्जा का मार्ग है। इससे महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोतों की स्वच्छता होती है जिससे ध्यान केंद्रित करने का मार्ग खुल जाता है।
शरीर में एकत्र हुआ तनाव नाड़ी शोधन प्राणायाम से निकल जाता है तथा तंत्रिका तंत्र को शांतिपूर्ण विश्राम मिलता है। यह दौड़ते हुए मन को स्थिर करता है तथा शांति और ठोस एकाग्रता के लिए मजबूत नींव का काम करता है।


भ्रामरी प्राणायाम

Bhramari Pranayama

भ्रामरी प्राणायाम से बेकार के विचारों पर रोक लग जाती है। यह आपको वर्तमान क्षण में रखता है। वर्तमान में रहने से आप अपने कार्य पर पूर्ण ध्यान एकाग्र कर सकते हो न कि भूत या भविष्य की चिंता में रहते हो।
भंवरे की आवाज…... हमममममम, ओममममम की ध्वनि का एक अंग है, जो कि ब्रह्मांड की बुनियादी उपचार ध्वनि है। संक्षेप में, यह साँस की प्रक्रिया लगातार भागते हुए मन को स्थिर करने के लिए एक बटन के जैसी है। आप स्वच्छ चेतना के साथ एकाग्रता से अपना काम कर सकते हैं।


कपालभाति प्राणायाम

Kapalbhati Pranayama (Skull Shining Breathing Technique) 

कपालभाति प्राणायाम आपके माथे तथा सिर के भाग को साफ करता है स्वच्छता वाली श्वास के साथ। यह मस्तिष्क के सेल्स को साफ हवा की तरंगे पहुंचाता है तथा तंत्रिकाओं को व पूरे शरीर को नई ऊर्जा देता है।

कपालभाति प्राणायाम सूक्ष्म जीवनी उर्जा का शरीर में संचार करता है। यह आलस को दूर करता है। लंबी कहानी को छोटा करते हुए हम बताते हैं कि यह एकाग्रता को बढ़ाता है।


भस्त्रिका प्राणायाम | Bhastrika pranayama

 

क्या आप जागते हुए अपना काम समय पर खत्म करना चाहते हो और नींद आप को घेर लेती है? प्राणायाम नींद दूर करने में सहायता करता है, जागरूकता बढ़ाता है, इस साँस की प्रक्रिया से एकाग्रता बेहतर हो जाती है।

उसी प्रकार जैसे आग के नीचे हवा देने से अग्नि तेज हो जाती है, उसी प्रकार लयबद्ध सांस लेने से मन में ऊर्जा प्रवाहित होती है। जब हम सांस लेते हैं तब मस्तिष्क धीरे से संपीड़ित हो जाता है और जब हम सांस छोड़ते हैं तब यह विश्राम की अवस्था में आ जाता है। इससे मस्तिष्क की मालिश होती है।


ब्रह्म मुद्रा |Brahma Mudra

यह मुद्रा हाथों द्वारा की जाती है। जो कि शरीर में जीवन ऊर्जा को प्रवाहित करने में सहायता करती है। हाथों को स्थिर रखते हुए मुद्रा बनाने से मन स्थिर होता है, जिस से बेहतर एकाग्रता होती है। प्रत्येक मुद्रा शरीर के विशेष भाग में ऊर्जा का संचार करती है। ब्रह्ममुद्रा एक तनाव दूर करने की तथा मस्तिष्क को विश्राम देने की महत्वपूर्ण तकनीक है। हालांकि यह विश्राम की तकनीक है लेकिन इससे बेहतर एकाग्रता भी पाई जा सकती है।


चिन मुद्रा या ज्ञान मुद्रा

‘चिन’ का अर्थ है- चेतना, और जब आप चिन मुद्रा बनाते हो तब आप शांति का अनुभव करते हो। उंगलियों के ऊपर नाड़ियों का प्राणों के संचालन में महत्वपूर्ण योगदान है। इस मुद्रा में सूक्ष्म महत्वपूर्ण ऊर्जा शक्ति को तर्जनी के ऊपर अंगूठे से दबाकर प्रवाहित करते हैं। यह नसों को शांति देती है तथा जल्दी से मस्तिष्क को शांत कर देती है। कोई हैरानी की बात नहीं है इस मुद्रा को करने से जागरूकता बढती है तथा मन एकाग्र हो जाता है।

व्यायाम की कमी, पुराने नींद के तरीके, गलत भोजन की आदत, एकाग्रता में कमी के कारण है। हालांकि योग आपकी दिनचर्या को संतुलित करके शरीर को अच्छे आकार में ले आता है, इसके साथ आप अपने भोजन की आदतों में सुधार लाकर एकाग्रता बढ़ा सकते हैं। आयुर्वेदिक प्राचीन विज्ञान है जो कि सही आहार के चुनाव में सहायता करता है। नियमित योगाभ्यास और आयुर्वेदिक भोजन से आप एकाग्रता बढ़ाकर जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ा सकते हैं।

यह एक अच्छा सुझाव है कि इन व्यायामों को करने के साथ सुदर्शन क्रिया का अभ्यास भी किया जाए। आर्ट ऑफ लिविंग के “हैप्पीनेस प्रोग्राम” में सिखाई जाती है। जिस में सांस लेने के लिए लयबद्ध तकनीक सिखाई जाती है।जिससे हमारी भावनाओं और सम्वेदनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ती है। सुदर्शन क्रिया तनाव को दूर करती है तथा भावनात्मक उतार चढ़ाव वाले रोलर कॉस्टर राइड को संभालती है। जिसमें हम ना चाहते हुए भी फंसकर झूलते रहते हैं। हम दुनिया को तो बदल नहीं सकते परंतु हम स्वयं को बदल कर बेहतर मार्ग बना सकते हैं ।