मन के अंदर होने वाली घबराहट को अक्सर डर कहा जाता है। हमारे जीवन में कई ऐसी बातें होती हैं जिनके बारे में सोचकर हम घबराने लगते हैं या फिर अंदर ही अंदर डर लगने लगता है। तो इस मानसिक डर का इलाज कैसे किया जाए तथा “मन से डर को कैसे निकालें?”
डर एक सामान्य बात है जो हर किसी व्यक्ति में होता है। लेकिन जो यह नहीं जानते कि अपने अंदर के डर को कैसे खत्म करें, उन पर डर भावनात्मक रूप से हावी हो जाता है। वे लोग हमेशा घबराये हुए रहते हैं और किसी भी समस्या का सामना नहीं कर पाते। आज हम इस लेख में, मन से डर को कैसे दूर करें एवं डर दूर करने के मंत्र के बारे में बात करेंगे।
आइए एक घटना से समझते हैं कि मन के डर को कैसे दूर कर सकते हैं?
एक बार मुझे एक मीटिंग में प्रेजेंटेशन देना था, जिसके लिए मैं तैयार नहीं थी। मैं बहुत डरी हुई थी। मेरी हथेलियां पसीने से भीगी हुई थीं और मेरे दिल की धड़कन भी बहुत तेज हो रही थी। मैं ध्यान लगा कर कुछ पढ़ भी नहीं पा रही थी। मुझे पता था कि मैं डरी हुई हूँ, इतने सारे लोगों के सामने बोलने का डर मुझे सता रहा था।
इस हालत में, मैं एकदम कोने में जाकर बैठ गई और मैंने कुछ देर तक ध्यान किया। उन चंद मिनटों के गहरे मौन के बाद मानो कि कोई जादू ही हो गया हो। मैं अंदर से एकदम शांत हो गई और मुझे एक नया आत्मविश्वास मिल गया।
उस समय मुझे लग रहा था कि मैं अपने मानसिक डर का इलाज कैसे करूंगी। लेकिन मैं जानती हूँ कि डर हमें प्रकृति से एक वरदान के रूप में मिलता है और ध्यान ही डर दूर करने का मंत्र है। मैं जैसे जैसे ध्यान करती हूँ मेरा डर उतना कम होता जाता है। डर पर जीत पाने का सबसे अच्छा रास्ता है हमारा विश्वास, हमारी आस्था। यह आस्था कि हमारे साथ जो होगा, वह अच्छा होगा।
दूसरों पर भरोसा न होने के कारण भी डर की उत्तपत्ति होती है। एक दूसरे के बीच की दूरी किसी भी परिवार या समाज में अविश्वास और भय को जन्म देती है एवं विकास के लिए नुकसानदायक होती है।
आप कानून से डर सकते हैं लेकिन समाज में आप डर के साथ काम नहीं कर सकते हैं। डर कैसा भी हो सकता है जैसे अधिकारी का डर, अपनों से बड़ों का डर, प्रिय व्यक्ति को खो देने का डर, नौकरी चले जाने का डर या फिर उत्पीड़न का डर। सच्चाई यही है कि मन से डर को कैसे निकालें, यह बात हमें कोई सिखाता ही नहीं है। और जब तक यह डर मन से नहीं निकलता हम कोई भी काम कर पाने में असमर्थ होते हैं। जीवन में डर भोजन में नमक जितना ही अच्छा है। इस लेख में हम मन के डर को कैसे दूर करें इसके रहस्यों के बारे में जानेगें।
1. पुरानी बातों को भुला दें, भय मुक्त हो जाएँ
जो बीत गया सो बीत गया। अक्सर हम बीती हुई बातों को लेकर चिंता में पड़ जाते हैं जैसे कि अगर कुत्तों से डरते हैं तो पहले कभी कुत्तों से कोई बुरा अनुभव हुआ होगा।
हम जानते हैं कि बच्चों को किसी चीज से डर नहीं लगता, क्योंकि उन्होंने पहले कभी उसे अनुभव नहीं किया होता है। हम जैसे-जैसे बड़े होते हैं, अनुभव लेते हैं तो उन अनुभवों के आधार पर हम डर तय करते हैं। योग और ध्यान साधना ही मन के अंदर व्याप्त डर को दूर करने का मंत्र है।
रूपल राणा जी ने हमें बताया कि उन्हें अंधेरे में चलने से डर लगता था तो उनके दोस्त ने उन्हें बताया कि वह अपने अंदर के डर को कैसे खत्म कर सकती हैं। उन्होंने नियमित रूप से ध्यान साधना करना शुरु किया। करीब दो वर्षों से वह ध्यान साधना का अभ्यास कर रही हैं और अब उन्हें अंधेरे से डर नहीं लगता।
2. चिंता का सामना करें
चिंता हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। जब हम चिंता करते हैं तब हमारा दिमाग विचारों के एक भंवर में फंस जाता है। यही विचार डर को जन्म देते हैं।
3. ‘मैं’ को छोड़ दें
भय का मुख्य कारण है अहंकार। हम लोगों से मिलते हैं और उन्हें प्रभावित करने के लिए अक्सर मैं-मैं का राग अलापते हैं। लोग-मित्र आपके बारे में क्या सोचते हैं यह भी डर का एक कारण है। अपने मन से डर को निकालने के लिए मैं को छोड़ देना ही उचित है। ध्यान-साधना से हम इस डर को फिर से प्रेम में बदल सकते हैं। 20 मिनट का दैनिक अभ्यास हमारे अंदर के भय के बीज को समूल नष्ठ कर देने का सामर्थ्य रखता है।
कामना अरोड़ा जी बताती हैं कि उन्होंने अपने अंदर के डर को कैसे खत्म किया। साथ ही वे अपने सामाजिक जीवन में अकेली शाकाहारी व्यक्ति थीं और अपने दोस्तों को यह बताने में डर महसूस करती थीं कि कहीं वे लोग उन्हें अस्वीकार ना कर दें। अरोड़ा जी अपने दोस्तों को प्रभावित करने के लिए झूठ बोलती थीं। अपने मानसिक डर का इलाज करने के लिए उन्होंने ध्यान-साधना का सहारा लिया। इससे उन्हें पर्याप्त मानसिक बल मिला और उन्होंने अपने दोस्तों को सच बताया।
ध्यान-साधना हमारे मन को शांत करते हैं और किसी भी परिस्थिति का सामना करने की शक्ति देते हैं। यह हर उस व्यक्ति के लिए उत्तर है जिनका प्रश्न है कि मन के डर को कैसे निकालें।
एम.बी.ए. के छात्र साहिब सिंह ने बताया कि एम.बी.ए. की परीक्षा के समय ध्यान-साधना उनके लिए जीवन रक्षक की तरह साबित हुई। हर परीक्षा से पहले उनको यही डर होता था कि जो पढ़ा है सब भूल जाएंगे। साहिब सिंह का यही सवाल था कि अपने मन से डर को कैसे निकालें। इसके लिए उन्होंने ध्यान-साधना का सहारा लिया।
चिंता का एक और मुख्य कारण है हमारे अंदर प्राण-शक्ति का कम होना। ध्यान से हमारे अंदर प्राण-शक्ति बढ़ती है जिसके परिणामस्वरूप हम चिंता मुक्त हो जाते हैं।
भय-मुक्त जीवन जीने के लिए 6 ध्यान-सूत्र
- जब बेचैनी, आशंका या भय का अनुभव हो, तब मन को शांत करने के लिए कुछ मिनटों का ध्यान बहुत सहायक सिद्ध होता है।
- ह्म्मम्म्म्म प्रक्रिया – भय से तत्काल बाहर निकलने का सबसे अच्छा उपाय है।
- स्वयं को लगातार स्मरण कराते रहें कि सब कुछ अच्छे के लिए ही होता है।
- ध्यान साधना का नियमित अभ्यास करें। प्रतिदिन 20 मिनट का ध्यान अंततः आपको भय और चिंताओं से मुक्त कराएगा।
- यद्यपि ध्यान-साधना के लिए प्रातःकाल का समय सबसे उपयुक्त होता है, फिर भी दिन में किसी भी समय, जब आपका पेट खाली हो, आप ध्यान कर सकते हैं। गहन ध्यान का अनुभव करने के लिए एक शांत स्थान का चयन करें।
- भय-रूपी सिक्के के दूसरे पहलू को देखें।
आप को थोड़ा भय होना एक सहज बात है। जिस प्रकार भोजन में थोड़े नमक की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार आदर्शपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए जीवन में थोड़ा भय होना आवश्यक है। कल्पना करें कि यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी बात का भय न हो, तो क्या होगा? यदि असफलता का भय न हो तो विद्यार्थी पढ़ना छोड़ देंगे। यदि आपको बीमार होने का डर न हो, तो आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं करेंगे। इसलिए जीवन में थोड़े डर के होने की उपयोगिता को पहचानें।
ध्यान-साधना का नियमित अभ्यास आपको तनाव संबंधी सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है, आपके मन को शांत करता है और आपको तरोताजा कर देता है। आर्ट ऑफ लिविंग के सहज समाधि ध्यान कार्यक्रम में आप अपने अंदर की गहराई में डूबकर अपनी असीमित संभावनाओं को प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। योग, सांस की प्रक्रियाओं और मेडिटेशन के लिए द आर्ट ऑफ़ लिविंग के हैप्पीनेस प्रशिक्षक से सम्पर्क करें। |
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मानसिक डर का इलाज करने के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. हर समय उदास महसूस करना
2. मन से बेचैन होना या ध्यान केंद्रित न कर पाना
3. बहुत चिंता या भय होना
4. अपराध की भावनाएं महसूस करना
5. मानसिक स्थिति में बहुत बदलाव होना
6. समाज, परिवार और दोस्तों से दूर रहना
7. शरीर में थकान और ऊर्जा में कमी
1. रोज डर का सामना करें
2. अपनी भावनाओं को लिखने की कोशिश करें
3. चिंता को खुद पर हावी न होने दें
4. योग व व्यायाम करें
5. डर से लड़ने के लिए हास्य व्यंग्य के कार्यक्रम देखें
6. हिम्मत के लिए अपनी तारीफ करें