चुनौती
भारतीय समाज में मासिक धर्म पर चर्चा करना अभी भी निषिद्ध माना जाता है।
रणनीति
ग्रामीण क्षेत्रों तथा शहरों की मलिन बस्तियों में कार्यक्रम आयोजित कर के जागरूकता पैदा करना।
पहुँच
ग्रामीण समावेश से आने वाली लगभग 2 लाख से अधिक किशोरियों को मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के संबंध में संवेदनशील बनाना।
अवलोकन
आज भी हमारे देश में सांस्कृतिक रूढ़िवादिता एवं सामाजिक रीति रिवाजों का प्रभाव किशोर वय की बालिकाओं को सही तरीके से मासिक धर्म संबंधित उपयुक्त ज्ञान देने में बहुत बड़ी बाधा हैं। बहुत सारी माताएँ भी इस विषय पर अपनी बेटियों से इस विषय पर बात करने में संकोच करती हैं, तथा उन में से बहुत को तो स्वयं भी तरुण अवस्था व यौवन तथा मासिक धर्म के बारे में वैज्ञानिक जानकारी नहीं होती। यहाँ तक कि यदि उन्हें यह जानकारी हो, तो भी भारतीय महिलाएँ मासिक धर्म संबंधित समस्याएँ होने पर शायद ही कभी डॉक्टर के पास चिकित्सा सहायता के लिए जाती हैं।
इस सामाजिक लांछन के बोझ तथा घर पर और पाठशाला में पर्याप्त जानकारी न मिल पाने के कारण बहुत सारी किशोरियाँ रजोदर्शन, इससे होने वाले शारीरिक बदलावों तथा इसके लिए उपयुक्त स्वच्छता संबंधित ज्ञान से वंचित रह जाती हैं। रजोदर्शन प्रायः अपने साथ उनके लिए सामाजिक बंधन और परिवर्तित अपेक्षाएँ भी ले कर आता है जिससे बच्चियों की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति भी प्रभावित होती है।
अपर्याप्त मासिक धर्म संबंधित स्वच्छता से आरटीआई (रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन) तथा पीआईडी (पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिसीज़) जैसी स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए इस विषय में रजोदर्शन के आरंभ से ही सकारात्मक व्यवहार तथा उत्तम मासिक धर्म स्वच्छता किशोरियों के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा स्वाभिमान के लिए अति आवश्यक है।
संवेदीकरण कार्यक्रम के उद्देश्य
जागरूकता फैलाना
किशोरियों को मासिक धर्म की इस सामान्य शारीरिक प्रक्रिया के विषय में समझाना और जागरूक करना।
मान्यताओं को हटाना
सामाजिक वर्जनाओं (प्रतिबंधों) को समाप्त करते हुए मासिक धर्म को स्वस्थ व स्वच्छ तरीके से सम्भालना।
जीवनशैली में परिवर्तन
बच्चियों में स्वस्थ खानपान तथा शारीरिक स्वास्थ्य के अनुकूल जीवनशैली को अपनाने में सहायता करना।
आत्मविश्वास बढ़ाना
एक महिला होने में आत्मविश्वास, गर्व तथा सम्मान की भावना विकसित करना।
रणनीति
इस विषय पर किए गए शोध कार्यों व मंत्रणा द्वारा, तथा हमारे आंतरिक योग व आयुर्वेद विशेषज्ञों के परामर्श अनुसार, तीन दिवसीय कार्यक्रम, जिसकी अवधि प्रतिदिन 90 मिनट की है, का प्रशिक्षण मोडयूल तैयार किया गया। यह समग्र कार्यक्रम 11 से 45 वर्ष आयु की किशोरियों तथा महिलाओं के मासिकधर्म स्वास्थ्य संबंधित सभी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
इन कार्यशालाओं में लड़कियों को मासिक धर्म के कारण होने वाले मानसिक व शारीरिक तनाव से निपटने का प्रशिक्षण देने के साथ साथ अतिरिक्त यह भी पढ़ाया जाता है:
- मासिक धर्म आने से पहले का तनाव (बढ़ा हुआ चिड़चिड़ापन, सूजन व ऐंठन) कम करने के लिए प्राणायाम
- पी एम एस (PMS), अधिक अथवा कम रक्त स्राव को नियंत्रित करने के लिए योगासन
- स्वस्थ पीरियड व रक्तस्राव द्वारा खोए गए पोषक तत्वों की प्रतिपूर्ति के लिए समुचित आहार (सामान्यतः स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों द्वारा - रक्त की कमी व कमजोरी से बचाव हेतु)
- इस प्राकृतिक शारीरिक क्रिया को लेकर फैले मिथकों और अंधविश्वासों को दूर करने के उद्देश्य से खेलों व प्रहसन द्वारा उनको समझाना
- स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के उपयोग से उनकी पर्याप्त मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखना
यह समग्र कार्यक्रम मासिक धर्म, उसकी स्वच्छता, इसके लिए उपलब्ध वस्तुएँ, उनके निपटान तथा प्रबंधन के विषय में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है और किशोरियों तथा महिलाओं को हानिकारक सामाजिक व सांस्कृतिक रूढ़ियों से निपटने के लिए आत्म सम्मान तथा आत्म निर्भरता से पोषित करता है।
प्रभाव
28
भारत के राज्य
11
से अधिक देश
7,000
से अधिक प्रशिक्षक
2,00,000
से अधिक किशोरियाँ तथा महिलाएँ लाभान्वित
किशोरियों के लिए स्वास्थ्य तथा स्वच्छता कार्यक्रम
यह जागरूकता कार्यक्रम किशोरियों के लिए पारस्परिक संवाद तथा व्यावहारिक प्रशिक्षण तकनीकों के उपयोग से उनको मासिकधर्म से निपटने का व्यावहारिक ज्ञान तथा इसकी जानकारी देने के अतिरिक्त उनके अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर भी देते हैं जिससे बालिकाओं में व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जानकारी बढ़ती है तथा उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है। यह कार्यक्रम इस विषय पर प्रचलित निषिद्ध और मिथ्या धारणाओं को दूर करने के लिए आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध करवाते हैं। लड़कियों को योगासन व प्राणायाम भी सिखाए जाते हैं जो उनको मासिकधर्म सम्बन्धी असुविधाओं से राहत दिलाते हैं।
मैंने अपने स्कूल में आयोजित मेन्स्ट्रुअल हेल्थ एंड हाइजीन वर्कशॉप में भाग लिया। इस कार्यक्रम में सिखाई गई योग और ध्यान प्रक्रियाओं का अभ्यास किया, अपनी छुट्टियों में भी। मैंने…
छाया
विद्यार्थी, गाँव पुरैनी, बिजनौर
अपने पीरियड्स के प्रारंभिक दिनों में मैं बहुत डरी डरी रहती थी, मुझे पेट में दर्द महसूस होता था जिसके कारण मुझे लगता था कि मैं किसी बीमारी से पीड़ित…
काव्या
विद्यार्थी, विशाखापटनम
आर्ट ऑफ लिविंग सामाजिक परियोजना विभाग
आर्ट ऑफ लिविंग अंतरराष्ट्रीय केंद्र, 21 किमी, कनकपुरा रोड , बैंगुलुरु, भारत