सुदर्शन क्रिया एक लयबद्ध सांसों की तकनीक है, जो तनाव को दूर करने, भावनाओं को नियंत्रित करने और शरीर से विषैले तत्वों को निकालने में मदद करती है। सुदर्शन क्रिया के निरंतर अभ्यास और जीवनशैली में परिवर्तन के द्वारा, विश्व के लाखों लोग अपनी आवश्यक जिम्मेदारियों को निभाते हुए तनावमुक्त जीवन जी रहे हैं।
सुदर्शन क्रिया कैसे काम करती है?
सुदर्शन क्रिया में हम लयबद्ध तरीके से श्वास लेते हैं। श्वास आपकी भावनाओं से जुड़ी हुई है। जब आप गुस्से में होते हैं, तब आप छोटी श्वास लेते हैं। जब आप दुखी होते हैं, तब आप लंबी श्वास छोड़ते हैं। जिस प्रकार से आपकी भावनाओं के अनुसार आपकी श्वास की गति बदल जाती हैं, उसी प्रकार से श्वास के द्वारा आप अपने मन की स्थिति को भी बदल सकते हैं। तनाव, क्रोध, चिंता और दुख जैसी नकारात्मक भावनाओं को दूर करने के लिए सुदर्शन क्रिया में विभिन्न प्रकार के चक्रों में श्वास ली जाती है। यह तकनीक स्वाभाविक रूप से आपको प्रसन्न, ऊर्जावान और विश्राम में रहने में मदद करती है।
क्रोध: श्वास छोटी और तेज हो जाती है। | दुख: श्वास लंबी और गहरी हो जाती है। |
सुदर्शन क्रिया मन और शरीर में सामंजस्य स्थापित करती है।
आपके शरीर और मन की एक विशेष लय होती है। उदाहरण के लिए, आपको एक विशेष समय पर भूख लगती है और आप एक अलग समय पर सोते हैं। इसी प्रकार, हमारी सांस, भावनाओं और विचारों में एक लय होती है। संदेह, चिंता और प्रसन्नता एक विशेष लय में आते हैं और चले जाते हैं। बार बार वही भावनाएं वर्ष में एक विशेष समय पर आती हैं। जब मन और शरीर की लय में तालमेल नहीं होता है, तब आप बेचैन हो जाते हैं। सुदर्शन क्रिया शरीर और मन की लय में तालमेल स्थापित करती है, जिससे स्वास्थ्य और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है।
सुदर्शन क्रिया की उत्पत्ति
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर को 17 सितंबर, 1981 को शिमोगा में भद्रा नदी के तट पर 10 दिन के मौन और उपवास के पश्चात सुदर्शन क्रिया प्राप्त हुई थी।
गुरुदेव को 10 दिन का मौन करने की प्रेरणा कहां से मिली, इस प्रश्न पर गुरुदेव ने कहा, “मैंने विश्व में कई स्थानों की यात्रा की। मैंने लोगों को योग और ध्यान सिखाया। लेकिन फिर भी, मुझे इस बात की चिंता थी कि लोगों को खुशी से जीने में कैसे मदद की जाए। मुझे लगा कहीं कुछ कमी है। यद्यपि लोग आध्यात्मिक अभ्यास करते हैं, लेकिन फिर भी उनके जीवन में पूर्णता नहीं है। आध्यात्मिक अभ्यास करने वाले लोग सामान्य जीवन में बिल्कुल अलग होते हैं। मैं यह सोचता था कि आंतरिक मौन और जीवन की बाह्य अभिव्यक्ति के अन्तर को कैसे मिटाया जाए? मौन में सुदर्शन क्रिया एक प्रेरणा की तरह आयी। प्रकृति जानती है कि क्या देना है और कब देना है। जब मैं मौन से बाहर आया, तब मैंने वह सिखाया, जो भी मैं जानता था और लोगों को बहुत अच्छे अनुभव हुए। उन्हें भीतर से स्पष्टता अनुभव हुई।”
सुदर्शन क्रिया अंततः आर्ट ऑफ लिविंग के सभी कार्यक्रमों की आधारशिला बन गई, इस संस्था की स्थापना गुरुदेव ने उसी वर्ष की थी।
सुदर्शन क्रिया से लाभ
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर, जिन्होंने सुदर्शन क्रिया तकनीक मानवता को दी, उनके अनुसार, “नींद में हमें थकान से राहत मिलती है, लेकिन गहरा तनाव हमारे शरीर और मन में बना रहता है।” सुदर्शन क्रिया पूरे तंत्र को भीतर से शुद्ध करती है। सुदर्शन क्रिया द्वारा शरीर और मन के गहरे तनाव को दूर करने का अध्ययन करने के लिए 100 से अधिक स्वतंत्र शोध किए जा चुके हैं। सुदर्शन क्रिया करने से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:
- चिन्ता, अवसाद, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) को दूर करती है और तनाव के स्तर को कम करती है।
- आवेगशीलता और नशे की लत को कम करती है।
- आत्मसम्मान की भावना में सुधार करती है और जीवन में संतोष लाती है।
- एकाग्रता को बढ़ाती है।
- नींद में सुधार करती है।
- प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
- रक्तचाप को कम करती है।
- श्वसन प्रणाली में सुधार करती है।
सुदर्शन क्रिया किसके लिए है?
वे लोग, जो अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं और तनावमुक्त जीवन जीना चाहते हैं। सभी वर्गों और सभी आयु के लोग सुदर्शन क्रिया का लाभ उठा रहे हैं। विद्यार्थियों और कामकाजी पेशेवर अपने फोकस और उत्पादकता में सुधार का अनुभव कर रहे हैं। उद्यमी और गृहणियां बेहतर ऊर्जा स्तर और स्वास्थ्य का अनुभव कर रहे हैं। भूतपूर्व उग्रवादी और कैदियों ने हिंसक प्रवृत्तियों को छोड़ दिया है और वे समाज की मुख्यधारा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। युद्ध शरणार्थियों और हिंसा से पीड़ितों ने मानसिक आघात से छुटकारा पाया है और अब वे सामान्य जीवन जी रहे हैं।