जीवनशैली

एक प्रेरणादायक नेता कैसे बनें?

भाग 1- जैसा उपदेश वैसा चलन 

(नेतृत्व विषय पर रजिता बग्गा द्वारा रचित ये 8 भागों की श्रंखला है)

हर कोई मार्ग दर्शक बनना चाहता है। पारंपरिक मायनों में आप तभी मार्ग दर्शक हैं जब कोई आपका अनुसरण कर रहा हो। लेकिन आपका अनुसरण कोई करेगा क्यों? आप ऐसे कौन से गुणों और मूल्यों से जगमगाते हैं जिससे कि औरों को आपसे प्रभावित होने की प्रेरणा मिले? 

 

नेतृत्व के साथ आने वाली शक्ति, दर्जा और सुविधाओं के बारे में सोचना बहुत आसान होता है बजाए उसके साथ आने वाली अपरिमित जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व के बारे में। दुर्भाग्यवश, अक्सर नेता पूर्व वर्णित के बारे में ज्यादा सोचते हैं न कि बाद वाले पक्ष के बारे में। जो बाद वाले पक्ष के बारे में सोचते हैं उनकी गणना व उद्धरण प्रेरणादायक लीडरों के संघ में होती है।ऐसे लीडर घरेलू कथा कहानी बन जाते हैं। उनके देशवासी, उनकी मंडली, उनके साझेदार आने वाले कई वर्षों तक उनके उदाहरण, उनकी स्मृतियां, अपवादात्मक व्यवहार के अनगिनत दृष्टांतों का ब्यौरा देते रहते हैं। ऐसे लीडर  विचारों, व्यक्तियों और संस्थाओं को आकार देते हैं। वे मानवमात्र के लिए उपहार होते है।

हम सभी अपने जीवन में कम से कम एक ऐसे मार्ग दर्शक से जरूर मिले हैं।और  निश्चित तौर पर  हम सभी नेतृत्व का एक प्रेरणादायक उदाहरण बनने की आकांक्षा रखते हैं। मैने दोनो तरह के नेताओं के साथ काम किया है। कुछ, जिन्होंने मुझे सिखाया कि क्या करना है और कुछ वे हैं जिन्होंने ये सिखाया कि क्या नहीं करना है। मैं खुद अपने व्यवसाई जीविका के पिछले दो दशकों से  नेत्रत्व के ओहदों पर रही हूं। मैंने सैकड़ों दुविधाओं, चुनौतियों, रुकावटों और अवसरों का सामना किया है। ऐसा बहुत बार हुआ है कि अपनी तान्यकता और साहस से मैने खुद ही अपने को अचंभित कर दिया है। ऐसा भी वक्त आया है जब मैने अपने आप से पूछा है, "तुमने ये किया कैसे?" परिकल्पना में उत्तर हमेशा आसान होते हैं।व्यवहार में जब हम कार्यान्वित होते हैं तभी यथार्थ का क्षण घटित होता है।

नेतृत्व एक उद्विकासी पाठ है।जैसे जैसे हमारे चारों तरफ की दुनिया परिवर्तित होती है और जैसे हम परिवर्तित होते हैं हमारे जीवन के यथार्थ भी परिवर्तित होते हैं।जैसे मैं चिंतन करती हूं, मैं कह सकती हूं कि मैंने  सच्चे मायने में एक प्रेरणादायक नेता के गुणों के पाठ पढ़े हैं।ये पाठ मेरे निजी अनुभव से हैं कि मुझे किससे प्रेरणा मिली या मैने ऐसा क्या किया जिससे औरों को प्रेरणा मिली। मैंने पता  नहीं कितनी बार ये टिप्पणी सुनी है, "हमें पता है कि क्या करना है, पर मुश्किल ये है कि कैसे करें।" मेरे नेतृत्व के जीवन में मुझे जिस बात ने सहायता की है वो है प्रयत्न की विषयाभक्ता। किताबें पढ़ना, वीडियो देखना और वार्ताएं सुनने से सीमित सहायता प्राप्त  होती है।ये सब हमें भावुक तौर पर द्रवित,  बौद्धिक तौर पर आग्रहित कर सकते हैं।हमारी शख्सियत में एकाग्रता चिंतन, निरीक्षण, अभ्यास और अभियोग की प्रतिबद्धता से आ सकते हैं। ये परिवर्तन को प्रेरित कर सकता है।

यहां पर आठ गुणों की सूची है जो मेरी समझ से एक प्रेरणादायक नेतृत्व के लिए महत्वपूर्ण है ।

हर गुण के अंत में एक लघु प्रतिदिन करने वाली  वैयक्तिक चिंतन की अभ्यासिका है और आपके उपयोग के लिए कार्य योजना है।

  1. इसको आप स्वयं शिक्षण की तरह समझें। हम हर सप्ताह एक गुण की चर्चा करेंगे।
  2. चिन्तन एक शक्तिशाली साधन है जो आपको थम करके अपना व्यवहार जांचने के योग्य बनाता है।
  3. अवलोकन से आपको अपने अभ्यास या स्वरूप समझ में आता हैं ।
  4. कार्य योजना लिख लेने से आपका सुधार का परम् ध्येय दृढ़ हो जाता है ।
  5. यह आपकी अपने साथ प्रतिदिन की नियोजित भेंट है ।
  6. शतप्रतिशत ईमानदार और वास्तविक बने रहें।
  7. प्रतिदिन संध्या को यह अभ्यासिका करने के लिए चंद मिनट अलग रखें।
  8. एक सप्ताह के लिए इस कार्ययोजना का अनुसरण करें और खुद परिणाम देखें।

 

जैसा उपदेश करें वैसा चलन करें

सामान्य बुद्धि प्रत्यक्ष है पर असामान्य है! कितने सारे नेता ऐसा करते ही नहीं हैं। हमारे पास राजनीति में, सरकार में, निजी छेत्र में काफी और अनेक उदाहरण हैं जहां हम देखते हैं कि उपदेशित को दिन प्रतिदिन के आधार पर अभ्यास नहीं किया जाता। इससे भरोसा टूटता है, विश्वास फीका पड़ता है और टीम में असंवादिता का पर्यावरण सृजित करता है।जबकि वे नेता जो जैसा उपदेश करते हैं वैसा ही चलन करते हैं, एक सहयोग पूर्ण टीम का सृजन करते हैं और उत्कृष्टता की मांग करते हैं। क्या हम ऐसे नेताओं के साथ काम नहीं करना चाहेंगे जो जैसा उपदेश करते हैं वैसा ही चलन करते हैं और जो सिखाते हैं उसी को अभ्यास में लाते हैं।तो हमें उसी का प्रदर्शन करना होगा। कोई  भी तत्व एक टीम में उतना विश्वास और भरोसा प्रेरित नहीं करता जितना कि एक नेता जो कि जैसा उपदेशित करता हो वैसा ही चलन करता हो।

 

एक 1से 10 के मापन पर आप इस गुण पर अपना को कितना मूल्यांकित करते है? आप सुई को कितना आगे सरकाना चाहोगे?

प्रतिदिन वैयक्तिक चिंतन अभ्यासिका

A) क्या आप समझते हैं कि आपकी नेतृत्व की अभिव्यक्ति के लिए ये गुण महत्वपूर्ण है? अगर हां तो क्यों? (चंद शब्द लिखिए)

B) i) उन क्षेत्रों/ दृष्टांतो की सूची बनाइए जहां आपको लगता हो कि आप अपने नेतृत्व की भूमिका में शायद जैसा उपदेश कर रहे हैं वैसा चलन नहीं कर रहे हैं।

ii) लिखिए कि आपको उन क्षणों में कैसा महसूस हुआ था।

iii) आपके अनुसार आपकी टीम और आपके साझेदारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा होगा?

iv) कारण लिखिए कि आप जैसा उपदेश कर रहे हैं वैसा चलन क्यों नहीं कर पा रहे हैं?

a) इनमे से कितने आपके नियंत्रण में हैं?

एक छण का अवकाश दीजिए

C) i) ऐसे दृष्टांतो की सूची बनाइए जहां आप जैसा उपदेश कर रहे हैं वैसा चलन  कर रहे हैं।

   ii) ऐसे दृष्टांतों के साथ जुड़ी/ स्मरण में आने वाली अपनी भावनाएं लिखिए ।

   iii) आपके अनुसार इसका आपकी टीम/आपके साझेदारों के ऊपर क्या असर हुआ होगा?

   iv) लिखिए कि आपने ऐसे कौन से अभियोग किये जो अपवादात्मक थे?

7-दिन की कार्य-योजना

A) उपयोक्त के लिए, जहां आप जैसा उपदेश कर रहे हैं वैसा चलन नहीं कर रहे हैं तो अपनी परिवर्तन योजना लिखिए और खोज करिए कि आप उसको किस तरह से कार्यान्वित करेंगे।

 

एक छण का अवकाश दीजिए

B) उन छेत्रों में जहां आप जैसा उपदेश कर रहे हैं वैसा ही चलन कर रहे हैं तो उन उपायों को समझिये जिससे आप का व्यवहार और दृढ हो सके।

आप अपनी प्रतिपुष्टि(feedback) और अपने अनुभव निम्न पर भेज सकते हैं: @RajitaBagga and @ArtofLiving 

लेखिका वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिज़नेस और श्री श्री यूनिवर्सिटी,उड़ीसा (इंडिया) की अध्यक्ष हैं । वे आर्ट ऑफ़ लिविंग की प्रशिक्षिका भी हैं।

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