हाइपोटेंशन या निम्न-रक्तचाप क्या है? | What is hypotension or low blood pressure?
निम्न-रक्तचाप या हाइपोटेंशन एक शारीरिक विकार है जिसमे रक्तचाप पारे के 90/60 मिमी के स्तर से नीचे गिर जाता है। चिकित्सों का मानना है कि निम्न-रक्तचाप वास्तव में हानिकारक नहीं है, जब तक कि इससे चक्कर आना, बेहोशी और सदमे जैसे प्रभाव पैदा न हों। हाइपोटेंशन के कुछ अन्य लक्षणों में सिर दर्द, सीने में दर्द, दौरे-पडना, लंबे समय तक रहने वाले दस्त और वमन (उल्टी) शामिल हैं।
हाइपोटेंशन रक्त की मात्रा में कमी, एनीमिया, पोषक तत्वों की कमी, हृदय की समस्याओं और हार्मोन्स परिवर्तन जैसे कारणों एवं कई अन्य कारणों से भी हो सकता है।
हालांकि हाइपोटेंशन (निम्न-रक्तचाप),हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) खतरनाक नहीं है। कुछ सावधानियों के अभ्यास, और कुछ जीवन शैली में परिवर्तन से आपको खतरे से बाहर रहने में मदद मिलती है। उचित देखभाल और दवा रक्तचाप के स्तर को सामान्य कर सकते हैं। शारीरिक व्यायाम का नियमित अभ्यास, योग, शरीर में रक्त के प्रवाह में सुधार कर सकता है, और इस तरह निम्न-रक्तचाप को ठीक करता है। इसके अतिरिक्त, एक संतुलित आयुर्वेदिक आहार रक्तचाप के स्तर को सामान्य बनाने की प्रक्रिया को आसान व तेज कर सकता है। योग में कुछ आसन और प्राणायाम निम्न रक्तचाप के रोगियों के लिए बताए गये हैं जो नीचे सूचीबद्ध हैं।
निम्न-रक्तचाप में सुधार हेतु योग मुद्राएं - एक स्वस्थ जीवन के लिए अपनी यात्रा शुरू करें
निम्नलिखित योग आसन निम्न-रक्तचाप के रोगियों के लिए सुझाए गए हैं:
- उत्तानासन| Uttanasana
- अधोमुखस्वान आसन | Adho Mukha Svanasana
- पवनमुक्त आसन | Pavanmuktasana
- शिशु आसन | Shishuasana
- सर्वांगासन | Sarvangasana]
- मत्स्य आसन | Matsyasana
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उत्तान आसन
यह आसन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है और इस तरह चक्कर आना और थकान जैसी समस्याओं को दूर करता है।
यह आसन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है और इस प्रकार, चक्कर आना और थकान आदि को दूर करता है। सर्वांगासन, दिव्य समाज़ निर्माण (डी.एस.एन.) कार्यक्रम में सिखाया जाता है।
मत्यासन
यह आसन पीठ और गर्दन की मांसपेशियों में फैलाव लाता है और पूरे शरीर में रक्त का उचित और पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करता है। इस प्रकार रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
निम्न रक्तचाप के मरीजों के लिए प्राणायाम | Pranayama for Low BP Patients
- कपालभाति प्राणायाम | Kapal Bhati Pranayama
- भस्त्रिका प्राणायाम | Bhastrika Pranayama
- सूर्यभेदी प्राणायाम | Suryabhedi Pranayama
भस्त्रिका प्राणायाम
यह प्राणायाम साँस की प्रक्रिया (सांस लेना, प्रतिधारण और साँस छोड़ना) को विनियमित करने में मदद करता है। यह पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्रणाली में प्रवेश कर रही है, सुनिश्चित करके रक्त शुद्धि करता है। यह प्रणाली को विश्राम दिलाता है।
सूर्यभेदी प्राणायाम
यह मन को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस लेने की दर को धीमा कर देता है। जैसे ही शिथिल गति से ऑक्सीजन शरीर में प्रवेश करती है एवं विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकलते हैं, यह सिर को शीतल रखते हुए मन को शांत करता है और इस प्रकार चक्कर आना कम होता है। इस प्राणायाम को एक प्रशिक्षित श्री श्री योग शिक्षक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए। यह श्री श्री योग लेवल 2 के योग पाठ्यक्रम में सिखाया जाता है।
निम्न रक्तचाप के लिए सावधानियां | Precautions for Lower Blood Pressure
- अचानक की गई गतिविधियां चक्कर आने अथवा बेहोशी का कारण बन सकती हैं और इनसे बचा जाना चाहिए।
- सुनिश्चित करें कि योग करते समय आप उचित रूप से सांस लेते हैं।
- पानी खूब पीएँ और शराब से दूर रहे।
- विशेषज्ञ नमक और कैफीन का सेवन बढ़ाने का भी सुझाव देते है, क्योंकि ये पदार्थ खून का दबाव बढ़ाते हैं। किंतु यह दृढ़तापूर्वक सलाह दी जाती है कि किसी भी आहार परिवर्तन करने से पहले आप एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करें।
योग एक प्राचीन विज्ञान है जो कि आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से स्वस्थ रहने को बढ़ावा देता है। यह मन को शांत करता है और शरीर को कोमल बनाता है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को नवीन उत्साह से भर देता है। तो निम्न रक्तचाप के मुद्दों से मुक्त होने के लिये आपके योग आसन(चटाई) बाहर निकालें और योगाभ्यास शुरु करें।
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योग अभ्यास से शरीर एवं मन विकसित होते हैं, बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं किंतु ये दवाओं का विकल्प नहीं हैं। यह बेहद आवश्यक है कि आप योग आसनों को एक प्रशिक्षित श्री श्री योग शिक्षक की देखरेख में सीखें व अभ्यास करें। किसी चिकित्सा परिस्थिति की अवस्था में एक चिकित्सक और श्री श्री योग शिक्षक के परामर्श के बाद ही योग मुद्राओं का अभ्यास करें। अपने निकटतम आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र में श्री श्री योग पाठ्यक्रम की जानकारी लें।