रेशमा हनुमंतेश, गाँव के नव निर्मित घरों को देखकर संतुष्टि से मुस्कुरा उठती हैं। ये कर्नाटक के कोलार जिले के मलूर में बेघर लोगों के लिए बनाए गए हैं। ये घर विभिन्न संप्रदाय और जातियों के लोगों के लिए बनाए गए हैं।यह आर्ट ऑफ लिविंग के 5 एच प्रोग्राम की पहल है। इस पहल के अन्तर्गत ग्रामीण इलाकों के सशक्तिकरण के लिए गृह निर्माण,साफ सफाई, बेहतर स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों ,मानवतावादी मूल्यों ,विविधता एवम् सामंजस्य को साथ लेकर ,एक साथ चलने पर ज़ोर दिया जाता है।
रेशमा ने कहा," विविधता में सामंजस्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। यह ही हमारे 5 एच कार्यक्रम की नींव है। इसीलिए, हमने अलग - अलग समुदायों और जातियों को एक साथ लाने के लिए, उनके लिए एक ही जगह पर घर बनाए।
रेशमा,जो आर्ट ऑफ लिविंग के वाई एल टी पी ( यूथ लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम ) की स्नातक हैं, 5 एच के इस सह कार्यक्रम को इन घरों के निर्माण में सफलता का कारण मानती हैं।
समाज के नेता का निर्माण
वाई एल टी पी कार्यक्रम( युवाओं में नेतृत्व क्षमता को निखारकर 5 एच कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूर्ण करता है) के पहले के दिनों को याद करते हुए रेशमा बताती हैं," वाई एल टी पी कार्यक्रम को करने से पहले मैं बहुत भावुक थी और मुझमें आत्मविश्वास भी नहीं था।"
कोर्स करने के तुरंत बाद उनके भीतर कुछ परिवर्तन हुआ और उन्होंने "
श्वास-जल-ध्वनि कार्यक्रम " को राज्य गृह बालिका और राष्ट्रीय कैडेट कॉर्पोरेशन कर्मचारियों को सिखाना शुरू कर दिया। इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को तनाव कम करने और सेवा के द्वारा समाज में अपना योगदान देने पर केन्द्रित होने के लिए,सरल लेकिन प्रभावशाली तकनीकें सिखाई जाती हैं।इसमें 5 एच कार्यक्रम के कई पहलू शामिल हैं।
इन वर्कशॉप्स के आयोजन से बहुत कुछ परिवर्तित होने लगा। रेशमा में भय की भावना दूर होने लगी और उनमें आत्मविश्वास जाग गया।वे लगातार सेवा कार्यों में संलग्न रहने लगीं। वाई एल टी पी कार्यक्रम और सत्संग आयोजन ( संगीत एवम् नृत्य उत्सव ) द्वारा प्रसन्नता की लहरें उनके पूरे समुदाय तक पहुंचने लगीं।हांलाकि,बहुत सारे लोगों ने उनकी इस पहल को अस्वीकार कर दिया।
रेशमा ने बताया," एक मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के कारण,मुझे बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा।मेरे संप्रदाय के लोगों ने मेरे वाई एल टी पी और 5 एच कार्यक्रमों का पुरजोर विरोध किया।"
रेशमा ने शीघ्र ही विलासपुर सेंट्रल जेल में 700 प्रतिभागियों की श्वास-जल-ध्वनि वर्कशॉप का आयोजन किया। यह वर्कशॉप करके प्रतिभागी बहुत खुश थे। बहुत सारे प्रतिभागियों को ऐसा लगा कि जैसे नया जीवन मिल गया हो।
रेशमा ने 150 एकड़ जमीन पर जैविक कृषि कराने का काम भी शुरू कर किया। उन्होंने बागलकोट के कुदालसंगमा में ऋषि कृषि प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें जैविक कृषि के बहुत सारे सुझावों को सराहा गया। धीरे-धीरे, रेशमा ने उन बहुत सारे लोगों से सम्मान एवम् प्रशस्ति को प्राप्त कर लिया,जो उनके द्वारा वाई एल टी पी कार्यक्रम कराए जाने का विरोध कर रहे थे।
रेशमा ने कहा," जब आप समाज के उद्धार के लिए अपना योगदान देते हैं, तब दूसरे लोग भी देर - सबेर आपके प्रयासों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देने लगते हैं।"
गृह निर्माण
दिव्य कर्नाटक निर्माण के अन्तर्गत 5 एच कार्यक्रम को प्रभावशाली पहचान दिलाकर, जब रेशमा और दूसरे युवा नेता मलूर पहुँचे तो उन्होंने कई सामुदायिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों का आयोजन किया। रेशमा ने कहा," हांलाकि इन कार्यक्रमों ने गाँव वालों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाया है, लेकिन हम जानते हैं कि अभी और बहुत काम करना बाकी है।"
रेशमा ने कहा," लोग बेहद गरीब हैं और उनके सिर पर छत भी नहीं है।" कर्नाटक वाई एल टी पी के स्टेट कोऑर्डिनेटर, श्री जगदीश शास्त्री ,युवा नेता बी एम पाटिल और सुचित्रा जी यह मानते हैं कि निश्चित तौर पर अभी वहाँ बहुत काम करना बाकी है।
जल्द ही,स्वयं सेवकों के संकल्प से 2 घरों, एक गौशाला और एक जैविक कृषि केंद्र का निर्माण किया गया।
रेशमा मुस्कुराते हुए कहती हैं," गाँव वाले बहुत खुश हैं।अब वो जगह - जगह पर इन वर्कशॉप्स का आयोजन करने के लिए मुझे प्रोत्साहित करते हैं।